ढ़लती उम्र बढ़ता प्यार,
एक दूजे में बसती जान,
तू बुड्ढी मैं बुड्डा तेरा,
साथ रहेगा तेरा मेरा,
चहरों पर झुर्रियां भले है छाई,
दिल तो अभी भी जवां है भई,
हमारी उम्र पर मत जाना,
प्यार हममें तुमसे है ज्यादा,
ये तुमनें अभी नही जाना,
आओगे जब तुम हमारी उम्र में,
जानोंगे प्यार की असली कीमत,
होता क्या है प्यार ये आजकल के लोग भूल गए,
पैसों और मस्ती की चाह में आजकल के लोग भटक गए,
एक से दिल भरा हर दूसरे दिन प्यार बदलना सीख गए,
जरा पूछ कर देखना हमारे किसी हमउम्र से,
वो रूबरू कराएंगे तुम्हे सच्चे प्यार से,
हकीक़त में जानोंगे जब आओगे हमारी उम्र में,
तब कहोगे हाँ कहा था किसी शायर ने,
प्यार का असली एहसास होता है इसी उम्र में,
क्या नाम था उस शायर का,
याद कर लेना फिर "पंकज" नाम था उस शायर का।।
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