"सलीका अदब का तो बरकरार रखिये जनाब,
रंज़िशें अपनी जगह है,सलाम अपनी जगह-
26 AUG 2020 AT 7:07
25 AUG 2020 AT 9:40
मुसाफिर कल भी था
मुसाफिर आज भी हूं,
कल अपनों की तलाश में था
आज अपनी तलाश में हूं-
28 AUG 2020 AT 6:26
पाँव हौले से रख कश्ती से उतरने वाले,
ज़मीं अक्सर किनारों से ही खिसका करती है।-