Part..4
मैं बहुत बार गिरी, और गिरकर संभलने लगी थी!
पाता ??बैचेनी अब अपना रास्ता बदलने लगी थी !!
क्योंकि जिस उम्र से लडकर मैं गुज़र चुकी थी !
अब उस उम्र में कोई और कदम रख रही थी!!
मैं दुनिया की सारी हकीकत से वाकिफ हो चुकी थी!
हाँ!अब मुझे वापिस ये दुनिया रंगीन लगने लगी थी !!
अरे! कहाँ चले आप अभी तो कहानी बस शूरू हुई थी !
स्कूल तो गए, बस स्कूल के दिनों की यादे रह गई थी!!
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