परियाँ....!
आज रात जब लायेंगीं उड़नखटोला
ख़्वाबों में ले जाने के लिये,
मैं गुजारिश करूँगा
सातवें आसमान पर जाने को...
सुना है,
वहाँ पर चांदनी बिना घूंघट के बलखाती रहती है
एक मदमस्त हिरनी की तरह,
औऱ
अपने नूर से चमकाती रहती है सारा आसामन.
वही नूर चुराना चाहता हूं मैं तुम्हारी,
बिंदिया
पायल
झुमको के लिये.....
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