न सोचा, उससे भी ज़्यादा, वो बहरा कर गया मुझको,
वो गहरा, और गहरा, और गहरा कर गया मुझको।
सुना था हद से ज़्यादा बारिशें अच्छी नहीं होतीं,
वो बरसा इस कदर मुझपर, कि सहरा कर गया मुझको।
मैं था महबूब उसका, या कोई परचम जो उसने यों,
मुझे सूली पे टांगा, और फ़हरा कर गया मुझको।
जकड़कर रूह को मेरी, वो अपने संग ही ले कर,
महज़ अंदाम, इक ग़ुमनाम चेहरा कर गया मुझको।
अज़ाब उसके ही सह सह कर ये चेहरा पड़ गया पीला,
सभी ये सोचते हैं वो सुनहरा कर गया मुझको।
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