कैसी नफ़रते ,
वक्त ये कैसा ढल गया
इंसान तो इंसान,
अब तो ज़मीनो का भी धर्म हो गया
बंटवारे में किसी का धन,
तो धर्म किसी का खो गया
और इसी कश्मकश में लड़ता
वो वीर शहीद हो गया
अब इंसानो की क्या कहें साहब!
जब भारत का स्वर्ग ही हिस्सो मे बंटकर
जाहनुम का दरबार हो गया...
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