1222 1222 1222 1222
बता सकते नहीं वो बात जो दिल में छुपाये हैं,
बचा क्या पास अपने बस तेरी यादों के साये हैं।
गुज़र जाते हैं अब तो दिन ग़मों की आह में हमदम,
न जाने कौन हैं अपने सभी लगते पराये हैं।
बिखर जाते हैं जब सपने नज़र फिर कुछ नहीं आता,
जो अब अनजान बनते हैं वही दिल में समाये हैं।
मुहब्बत पाक थी अपनी फ़क़त इतनी ख़ता कर दी,
फ़रेबी वो हुए ऐसे दगा दिल में दबाये हैं।
मुहब्बत दिल से की हमने किसी से क्या करें शिक़वा,
हसीं पल पाक उल्फ़त के निगाहों में बसाये हैं।
ज़रा आराम सा दिल में कभी होता नहीं " मीना",
कई नश्तर हमारे दिल में जो उसने चुभाये हैं।
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