( हमारे अपने )
गुमसुम उदास बैठा हूं ,
बेशक किसी अपने के इंतजार में बैठा हूं।
अकेला ना था मैं, अकेला हो गया हूं।
वह जो अपने थे हमारे ,
जा चुके हैं छोड़कर हमें।
खुदा उन्हें जन्नत दे।
रुक गया एक पल में ,
हंसती खेलती जिंदगी कितनों की।
उखड़ गई सांसे कितनों की ,
Bed, oxygen के इंतजार में ।
समझ ना आया मृत्यु थी या हत्या।
पता नहीं कौन था जिम्मेदार इसका,
सरकार सिस्टम हम आप या खुदा,
खैर खोया जिसने अपनों को,
खूब पता है उन्हें जिम्मेदार का ।
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