आज अजीब सी रात है अाई,
भाई ने बहन की अर्थी जो उठाई,
प्यार ने आज एक और हार है खाई,
कैसे सुबकते आंसुओ के साथ,
घर की औरतें है अाई,
प्रेम विवाह समाज की नाक है कटाई,
देखो आज अजीब सी रात है अाई,
खुशियों का वो ख्याल ना रख पाई,
ज़हर जो खा के जान है गवाई,
पसंद को जो रज़ामंद ना करवा पाई,
नहीं सुनी किसी ने उसकी सुनवाई,
मौत की आगोश में आत्मा की तनहाई,
देखो कैसी आज अजीब सी रात है अाई,
भाई ने बहन की अर्थी जो उठाई।।
- पूजा गौतम
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