न मैं था न था ये सारा जहाँ ऐसा
कुछ तो बदला है तेरे आने के बाद
ये वादियां,गुलशन,सुबह और रात
सबकुछ तो था मगर ऐसा न था
न इतनी हसीन न इतनी खूबसूरत
ये लम्हा जो गुजरा ख्यालातों में तेरे
सफ़र जो शुरू हुआ तेरी बातों का
ये लम्हे,ख्यालात,ज़िक्र और जज़्बात
सबकुछ तो था मगर ऐसा न था
न इतनी संजिदा न इतनी ख़ालिस
तू ही तो वजह है इन सभी बातों का
ज़ज़्बातों का जो तुझमें है,मुझमें है
और बिखरा है चारों तरफ इर्द-गिर्द
हाँ सबकुछ तो था मगर ऐसा न था
थे ख़ुश्क,नीरस,ख़ामोश,ज़िंदा मात्र
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