सब किस्मत की ही तो बात है नही तो वफ़ा के बदले वफ़ा न मिले, ये खुदा को मंजूर कैसे हो जाता है, जो इश्क़ कभी जान बन जाते है, वो पल में मगरूर कैसे हो जाता है ।
माना कि मरते होंगे तुझपे हजारों, लेकिन उन हजारों में कई है हमारी कमल के दीवाने । न यकीन तो पूछ लें , उन हजारों में कई तो होंगे ऐसे , जो सिर्फ हमारी कलम की वजह से बने है तेरे दीवाने ।