मैंने जब रास्ता बदला ,
मुसीबतों ने भी रास्ता बदला ।
जब पत्थरों को समेटी ,
पहाड़ों से मुलाकात हो गई ।
फ़िर भी , मैं रुकी नहीं ।
गिला तो है , पर ख़फा नहीं ।
थक्की तो हूं , पर रुकी नहीं ।
टूटी तो हूं , पर बिखरी नहीं ।
चलती रही , मीलों दूर ।
चलती रही , मीलों दूर ।
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