सुनो!तुम कुछ मत कहो,
अपने जज्ब़ात को पलकों की ओट से दिखाते रहो,
मेज़ पर ऊँगलियों से तार बजाते रहो,
हाँ ,पढ़ लूँगी हाले दिल
बस तुम यूँ ही प्यार जताते रहो।
सुनो! तुम कुछ मत कहो ,
अपनी मुस्कुराहट को बंद होठों से दबाते रहो,
सामने से गुज़रूँ, तो चुपके से करार पाते रहो,
हाँ, पढ़ लूँगी हाले दिल,
बस तुम यूँ ही प्यार जताते रहो।
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