पूछते नहीं सवाल लोग चाँद सितारों के,
कौन रहता है आसमान के किनारों पे,
मेरा खुदा है या फिर है वो तेरा खुदा,
चलता है यह जहां किसके इशारों पे ?
कोई किताब तो हो ऐसी जो जवाब हो,
यह सीमित जीवन कब तक बेताब हो ?
सवाल कितने है जो भटक रहे सदियों से,
किसी जवाब की अक्ल पर तो नाज़ हो,
पूछते नहीं लोग क्यों जीवन का रहस्य,
जीवन क्यों है झूठ, मौत ही क्यों सत्य,
यह एहसास जो जिंदा महसूस कराता है,
बात करता है मेरे अंदर यह कौन सदस्य ?
जीवन के अंत तक रहेगा यही मलाल,
के यूं का यूं खड़ा रहा यही सवाल,
ऊपर कौन है, क्या है एहसास अंदर,
कोई तो करेगा सच ढूंढने की मजाल ।।
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