बहुत वक्त हो चला, ए रात! ज़रा, मुझे अब सोने दे
यहां तीरगी के आगोश़ से लिपटकर, थोड़ा मुझे रोने दे
ज़रा सुन, न तो इस नीश-ए-'इश्क़ ने सताया है मुझे
और न ही आज, मेरे इन सपनों ने जगाया है मुझे
आज दिल बड़ा बेचैन है और तबियत थोड़ी ठीक नहीं
वरना मेरा मन मेरी बात न माने, ये इतना भी ढीठ नहीं
ए चाँद मिरे! मुझे सितारों के बीच बस यूं ही खोने दे
बहुत वक्त हो चला, ए रात! ज़रा, मुझे अब सोने दे
बडी लंबी रात ये हो चली, पता नहीं शफ़क आयेगी कब
मेरे इस अफ़सुर्दा दिल में, उमंगों का ख़रोश पाएगी कब
आज बस मैं ही नहीं, यहां ये रात भी बड़ी महमूम सी है
माह्वे-यास निशा के बाद, कल रंगे-शफ़क महरूम सी है
गैहान से दूर, उफ़ुक़ के पार, मुझे खुदमें अब खोने दे
बहुत वक्त हो चला, ए रात! ज़रा, मुझे अब सोने दे
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