नदिया एक घाट बहुतेरे, मिलता उसे जो जगें सवेरे। कल और कल का रखता ध्यान, आज का करें हर पल सम्मान। प्रत्यक्ष देवों को निज करें प्रणाम, सचमुच वह है कुल की शान। जिसने स्व को स्वयं जगाया, उसने जीवन सफल बनाया।।
धनवान से बड़ा धैर्यवान ,जिसे अमीर कहते हैं। स्वाभिमान के लिए घास की रोटी,इसे ज़मीर कहते हैं। इंसानियत के लिए जो मर मिटे ,उसे फक़ीर कहते हैं। मनुष्य जन्म पाकर मनुष्यता अपनाना, इसे ही तकदीर कहते हैं।।
दोषारोपण और रोना धोना, यह साहित्य का मूल्य नहीं। जो चट्टानों से लड़ना सीखे, सचमुच है मानव तुल्य वही। उठो जागो और भागो, इस प्रगति के मैदान में। यही सीखा हमनें प्रबुद्ध जनों के लहू,त्याग और बलिदान से।।
पावन धरा बनाने को ,हर बेटा फिर से राम बने, नाश बैरियों का करने को गोकुल का घनश्याम बने। जो भी जंग लड़ेंगे हम,जीत हमारी निश्चित है, गर भारत माँ का हर बेटा अशफ़ाक,हमीद, कलाम बनें ।।
शीतल और निर्मल बन के जग में नीर सा बहना, शान्ति का लिए सागर हमेशा सत्य ही कहना। पत्थर की चट्टानें बन के क्या स्थान घेरोगे, बनना इत्र की खुशबू पूरे संसार में रहना।।
तितलियों का हौसला फूलों में रस का प्याला ढूंढ लेता है। कोई मुश्किलों में भी अच्छी सी पाठशाला ढूंढ लेता है। हमेशा ईश्वर भी अपना साथ, उसी के हाथ में देना चाहता है, जो निकल कर अन्धेरे से उजाला ढूंढ लेता है ।।