सोने की ख्वाहिश नहीं थी,
मुझे जबरन सुलाया गया,
जीने की चाह नहीं,
जीतने की चाह थी मुझे।
मैं जिंदगी से हारा नहीं था,
मेरे काबिलियत को नकारा कर,
जबरन हराया गया है।
उस भीड़ वाली महफिल का हिस्सा कभी था ही नहीं,
जिसमें मुझे तन्हा किया गया।
मैं उन्हीं का हिस्सा हूं,
ऐसा मुझे एहसास दिलाया गया।
यह साजिश थी मुझे तोड़ने की,
जहां मुझे सताया गया।
कड़ी मेहनत से जिस ऊंचाई पर पहुंचा,
मुझे वहां से जबरन गिराया गया।
मरने की ख्वाइश किसे होती है,
मेरे जहन में ऐसा कुछ नहीं था।
जिस रास्ते में चलना नहीं चाहता,
उस रास्ते मुझे चलाया गया,
साजिश के तहत खुदकुशी करवाया गया।
सोने की ख्वाहिश नहीं थी,
मुझे जबरन सुलाया गया,
-