आंखे बन्द करूं तो मुझको दिखे मेरा बीता कल
सबर का ना मिठाफल और जिंदगी मेरी सीताफल,
काट के खाया भोहतोंने पर बूरा वक्त मुझे गया सिखाकर
के सीधा कर उल्लू अपना और जो दिल में आए लिखाकर,
चिंता क्या अंदर से ना बाहर दिखाकर
जो भी बोलूं सच बोलूं रखा हाथ गीतापार,
अंदर से रावण पर कभी हाथ न डाला किसी सीतापर
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