किसी व्यक्ति विशेष के लिए, भूल से भी,
बुरा ना सोचे,, ना करे,, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति
प्रकृति और ईश्वर का अंश है।।।
प्रकृति हमसे नहीं,, हम प्रकृति से निर्मित किए गए हैं।
किसी पशु से दुर्व्यवहार, प्रकृति का अपमान है
प्रकृति का अपमान हमारा अपमान है,, तब तो हम अपना ही अपमान कर रहे हैं।
और जो अपमान किया है
उसे हमे चुकाना ही होगा।
ईश्वर की प्रत्येक रचना, सर्वश्रेष्ठ है।
इसलिए सत्य को जाने और निर्णय लें
जीवन सुखमय बनाना है,, या दुखमय ?
ये पूर्णतः आप पर निर्भर है।।।
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