किसी ने सवाल किया सच्ची मोहब्बत थी फिर जाने क्यों दिया...
मेरे जवाब ने ना जाने क्यों सबको ख़ामोश कर दिया..
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"मुझे अपनी नज़र से आकना छोड़ दो,
अपनी सोच से मुझमें झांकना छोड़ दो...
यकीनन नाराज़ हू मै उसकी ख़ामोशी पे...
पर जब बात उसकी इज़्ज़त और मेरी मोहब्बत पे बन आए,
तो आंख बंद करके मैं हर अपना फैसला उसकी इज्ज़त के नाम कर दू" ...।।।
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