QUOTES ON #MYSTERIOUS

#mysterious quotes

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29 DEC 2019 AT 15:21

Suraj dhal raha hai,
Din dhal raha hai.
Raat char rahi hai,
Ujala dhal raha hai.
Jawani dhal rahi hai,
Burapa char raha hai.
Zindegi dhal rahi hai,
Maut char rahi hai.

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22 APR 2020 AT 11:36

बेशक मोहब्बत बहुत गहरी हैं, पर कुछ शर्तों का पहरा है| कुछ सुरमें से लिखे वादे हैं तो, कुछ पुरानी यादें हैं|
भूलाया ना जाए यह एक किस्सा है, यह तो जिंदगी का एक हिस्सा है|
अल्फाजों के परे भी एक कहानी थी,
जब मैं बिन शर्त किसी और की दीवानी थी!!

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6 MAY 2020 AT 18:59

BROKEN🥀
THINGS
CAN
STILL
BE
BEAUTIFUL🍁

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27 DEC 2019 AT 18:45

That time Give yourself and your worries to God and begin enjoying the abundant that life has planned for you

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16 FEB 2020 AT 19:02

Misunderstanding and people tend to underestimate themselves ...

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25 MAR 2020 AT 17:27

अगर होते वह दोस्त सच्चे तो पहचान लिया करते आपका अकेलापन!
बेवजा लोगों को परेशान किया नहीं करते|
इश्क के सहारे तो लेने ही पड़ेंगे जनाब, भले ही वह इश्क झूठे क्यों ना हो|
गम के प्याले भी पीने ही पड़ेंगे जनाब, क्योंकि बिना गम प्याले के इश्क कैसे हो|

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14 JAN 2022 AT 18:03

If the pillow could speak..

~in the caption~

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15 JUL 2020 AT 0:45

!!! It's up to you !!!

some part of me will always be stuck on you.
why? I have no idea.
maybe because you're the first person I've truly unconditionally loved.
maybe because you're the only one who's able to put me under this much hurt.
No matter the reason, I could never stop loving you.

But loving me is up to you!!!

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28 JUN 2020 AT 23:59

कोई नज़्म लिखूं या कोई कविता लिखू
सोचती हूं मैं तुम्हारे बारे में क्या लिखूं ...

खोई जो खुद में रहती हूं
पर दिल रखने को कुछ कुछ कहती हूं...
सादगी लिखूं या अदा लिखूं
सोचती हूं मैं तुम्हारे बारे में क्या लिखूं...

यू मशरुफ जो रहती हूं
दिल में राज छुपा यू अधूरी बात कह लेती हूं...
साथ लिखूं या वास लिखूं
सोचती हूं मैं तुम्हारे बारे में क्या लिखूं...

यू खिलखिलाती जो रहती हूं
चेहरे पर मुस्कुराहट और होठों को दबा लेती हूं
दगा लिखूं या वफा लिखूं
सोचती हूं मैं तुम्हारे बारे में क्या लिखूं...

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24 DEC 2019 AT 22:58

रूह के करीब आकर, यूं तेरा जिस्म को छू जाना कुछ अच्छा नहीं लगा |
मेरे इंकार करने के बाद, तेरा यूं मनाना कुछ अच्छा नहीं लगा |
अगर ऐसे ही होता है इश्क का इकरार, तो मुझे यह इश्क कुछ अच्छा नहीं लगा |

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