अब कहा मौत के पैगाम से डर लगता है अब तो बस जिंदगी के नाम से डर लगता है कितनी सूनी और अकेली है ये जिंदगी कि अब तो ढलते हुये सूरज और चाँद से डर लगता है अब कहा जुदायी के पैगाम से डर लगता है अब तो बस मोहब्बत के नाम से डर लगता है अब कहा आंसुओं के नाम से डर लगता है अब तो बस ख़ुशी की एक मुस्कान से डर लगता है अब कहा कांटो के ढेर से डर लगता है अब तो बस मोहब्बत के एक शेर से डर लगता है अब कहा आम और अवाम से डर लगता है अब तो बस दिल में दबते हुए अरमान से डर लगता है अब कहा मौत के पैगाम से डर लगता है अब तो बस जिंदगी के नाम से डर लगता है..!!"
I will not Taste any Nonveg.. It has been written by me on the last PAGE of my Diary.. 【24/07/2008】Because Animals are to Love❤ & Live' Not for Taste & Waste..!!"