सिक्के के पहलू एक नहीं दूसरा भी है।
खैरात जो देता है वही लूटता भी है।
दर्द-ए-दिल ले कर किधर जाएंगे,
कैसी चल रही जिंदगी कोई पूछता भी है।
नीलाम कर दिया खुशियाँ भरे बाजार तेरे लिए,
अब मेरे दिल में बचा क्या कोई सोचता भी है।
वैसे तो बहुत झेली है बेरूखी हमने,
पर इनमें कुछ पल हसीन सा भी है।
दिल ने फितरत भी किसी बच्चे सी पाई है,
पहले जिसे खो दे उसे फिर ढूँढता भी है।
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