बड़ी मासूम थी उसकी आंखें
पैर भी कितने कोमल थे,
डर से भरा था पूरा मन,
किंचित-किंचित था उपवन,
ना घर ना गलियां ना अपने थे,
चारों तरफ था पानी-पानी,
ना कोई रंग था एक सुनहरा,
रंग-बिरंगे मौसम थे,
पूरी दूनिया भरा-पड़ा था,
पर हाथ थ़ाम ले कोई इस जग में,
ऐसा कोई एक न था,
ऐसा कोई एक न था😑🇮🇳
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