संगीत-ए-खुमार , हर किसी पे सवार ।
इसकी तिष्नगी , कर जाए हमें बेकरार ।
इक पल , हमारे पंख लगा जाए ।
दूजे ही पल , किसी मोड़ पे ठहरा जाए ।
कभी , ख़ुशी की बारात सजा जाए ।
कभी , संगीन पलों से रुबरु करा जाए ।
किसी रोज़ , देशभक्ति की धुन रगों में दौड़ जाए ।
किसी दिन , रिश्तों के मायने दिल में जवां कर जाए।
संगीत-ए-खुमार , हर किसी पे सवार ।
इसकी तिष्नगी , कर जाए हमें बेकरार ।
-