बस देखने कि चाह तो हो,
चट्टानों में भी जान मिलेगी।
तुम खुश रहना सीखो तो सही,
तुमको खुशियों की खान मिलेगी।
तुम सुनने की कोशिश तो करो,
हर चीज मधुर स्वर गाती है।
कहीं बादल तान लगाता है,
कहीं बारिश गीत सुनाती है।
कभी फिज़ा का तुम संगीत सुनो,
वो कितने राग सुनाती है।
कभी मंदिर की घंटी को सुनो,
कभी मस्ज़िद की अज़ान सुनो।
अपने अंदर झांको तो सही,
खुद को खुद से अंजान सुनो।
कभी ढलते सूरज को देखो,
कभी रातों को सुनसान सुनो।
नदियों के बहते धारों में,
हलधर का गौरवगान सुनो।।
- रत्नेश शर्मा
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