QUOTES ON #MUSHKI

#mushki quotes

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24 MAR 2018 AT 3:57

دیکھ گل بھنورے کو مچلنا‌ تھا-
خواب عشق آنکھ میں تو پلنا تھا-
ہمسفر ہی رحزن ہوا تو غم کیسا-
ضد ہماری تھی, ساتھ چلنا تھا-


Dekh gul bhanwre ko machalna tha
Khwaab-e-ishq aankh me to palna tha..
Humsafar hi raahzan hua to gum kaisa.
Zid humari thi, saath chalna tha.

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19 NOV 2017 AT 0:50

Kuch yun likhun k teri rangat dikhai de.
Matla me husn-e-yaar ki zeenat dikhai de.

Aankhon se lun Radeef, tere chahre se Qafiya.
Aisi Gazal likhun teri surat dikhai de.

Lafzon ko laun main naha kar gulaab me.
Khushbu bhare labon ki Nazakat dikhai de.

Misron me qaid kar lun teri adayen sab
Har har Haruf me teri fitrat dikhai de.

Ashaar me basera teri haya kare.
Parde ke piche teri hararat dikhai de.

Mana 'Mushki' main koi shayar to hun nhi.
Maqta hi yun likhun k mohabbat dikhai de.

Aisi gazal likhun ......

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18 FEB 2018 AT 13:11

बोझ-ए-ज़िन्दगी कुछ भी नहीं बस तेरे ख़्वाब थे ।
इक बार सर से पटके, सब आसान हो गया ।।

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12 MAR 2018 AT 3:01

ज़िन्दगी आ कहीं तुझको खो आएं।
शाम ग़ुज़रे तो जाम छलकाएं।।

वो बेवफा था फिर ग़म-ए-जुदाई क्या।
जो बात माने तो दिल को समझाएं।

रात भर चांद तकते रहते हैं ।
तुमसा देखें तो रातें कट जाएं ।

यह किसके ख्याल की बेख़्याली है ।
कोई पूछे तो हम क्या बतलाएं।

कितना मुश्किल है अब ये तय करना।
किसको भूलें और किसको याद आएं।

दिल की "मुशकी" यही तमन्ना है।
कोई कह दे तो हम भी मर जाएं।

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7 MAR 2018 AT 2:47

मैं ही मुजरिम हूं वो सारी खताएं भूल जाता हूं।
वह जब भी प्यार से देखे ज़फाएं भूल जाता हूं।

सहर होते ही पहनता हूं मुस्कुराहट का नकाब ।
शब-ए-फुर्कत में गुज़री सब सज़ाएं भूल जाता हूं।

तुम्हें आगोश में भरने के लम्हे याद हैं अब तक।
हमारे दरमियान हामिल खलाएं भूल जाता हूं।

यूं तो आतिश-ए-तन्हाई में जलता है बदन सारा।
मगर जब मां से मिलता हूं शुआएं भूल जाता हूं ।

लिए खंज़र हमेशा पुश्त पर जो वार करते हैं।
वह रफ़ीक मुझसे कहते हैं, वफाएं भूल जाता हूं।

बड़ी शिद्दत से जलाता हूं चराग़-ए-आशिकी 'मुशकी'
मगर फिर कैद करने को हवाएं भूल जाता हूं ।

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25 FEB 2018 AT 4:44

गुल-ए-दिल से निकलती है , फज़ा में घुलती रहती है।
मुहब्बत एक खुशबू है, हमेशा साथ चलती है।

लवों का ये तबस्सुम है, मक़सद-ए-जिस्त-ए-आदम है।
यही सजदों में बसती है , यही जंगें कराती है ।

मुहब्बत चांद सी रौशन, मुहब्बत रात सी बेरंग।
मुहब्बत साज़-व-सरगम है , दिल-ए-आशिक में बजती है।

है वर्ग-ए-चश्म पर खिलते सुनहरी ओस के मोती।
कभी मदहोश करती है जो मय में ये बदलती है ।

शब-ए-हिज़रां की बेताबी , सुकूत-ए-सहर-ए-सहरा भी।
लकीर-ए-नूर के मानिंद, रक़्स कोहसारों पे करती है।

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7 FEB 2018 AT 3:31

Jo hai sayyad wo jab paswaan hoga
Tabhi shajar par apna aashiyan hoga.

Qafas ko todkar hum parwaaz karte hain
Jo tumse dar gya, koi natawaan hoga.

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12 FEB 2018 AT 4:07

अब क़ाबिल-ए-गुफ्तगू कोई लगता नहीं मुझे।
मैं नासमझ हूं या कोई समझा नहीं मुझे ।

झूठी मुहब्बतों ने किया ऐसा हाल-ए-दिल।
हूं खुशनसीब तुमने जो चाहा नहीं मुझे ।

इक शख्स अजनबी सा हैरान कर रहा है ।
रहता है मुझ में बसके बदलता नहीं मुझे ।

ये मरहला-ए-इश्क भी है सख़्त इम्तिहान ।
वो ऐतबार तो करता है परख़्ता नहीं मुझे ।

सच्ची तलाश से ख़ुदा मिलता है सुन‌ चुके ।
ढूंढा है खुद में खुद को मिलता नहीं मुझे ।

है ज़हर ही फ़क़त दवा-ए-मरीज़-ए-इश्क ।
अच्छा है जो सभी को अच्छा नहीं मुझे ।

निकले है दम-ए-'मुशकी' अब कू-ए-यार में।
बाद-ए-अज़ीं ख़्वाहिश-ए-दुनिया नहीं मुझे।

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31 JAN 2018 AT 18:19

मैं हूं फनकार , यही मेरी कारीगरी है।
निभा कर चांदनी से इश्क, रात कारी करी है।।

میں ہوں فنکار ،یہی میری کاریگری ہے ۔
نبھا کر چاندنی سے عشق دات کاری کری ہے۔

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30 JAN 2018 AT 3:27

पर घोर अंधेरा है मन में

मैं ख्वाव सजाए बैठा हूं
आ जाओ तुम अंखियन में

अब धुआं रहेगा पतझड़ तक
यह शहर जला है सावन में

ना‌‌ इश्क किया , ना ‌ज़ाम पिया
फिर ख़ाक किया इस जीवन में

"मुशकी" हमसे पूछे कोई
क्या खूब मज़ा है तड़पन‌ में

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