मेरी प्रेरणा
माँ को आज एक अलग नज़रिए से लिखेंगे, यक़ीनन शब्द कम पड़ जाएंगे, माँ आज तुम्हें अहसासों से बया करेंगे। माँ तुम्हें मोहब्बत की जननी मानू, या किसी ख़्वाब सा हकीकत। माँ तुम्हें कोई देवी कहूं या सहन-शीलता की मूरत। तुम मेरे हर कदम पे मेरे साथ चलती हो, हाँ माँ तुम हमेशा मेरी प्रेरणा बन के रहती हो। और मैं तुमसे दूर होकर भी तुम्हे खोजने नही जाता, तुम मेरे मोहब्बत सी मेरे दिल मे रहती हो।
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