यु तो पुरी दुनिया,
में आँचल हूँ,
इससे नहीं जानती मुझे,
मुझमें कमियाँ कितनी
सारी,
ये पुरी दुनिया,
जानती है,
और उन्हें कभी वजह,
से तो कभी बे-वजह,
नजर भी आती रहती हैं,
कोई नई बात नहीं है,
फिर भी इन सब से उपर है,
तुम्हारा होना जो मेरी,
बात-बात पे गुस्सा होने,
को भी झेल लेती है,
पुरी दुनिया को एक हिस्से,
में छोङकर,
खुद मुझे खुश करने,
मेरे हिस्से आ जाती है,
सच मम्मा मेरे पास,
तुमसे बङी कोई दौलत नहीं.....
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