अये उम्मीद!
मेरी उम्मीद देखकर,
तड़प जाओगे,
मुक्कमल होने के लिए।
जब मेरे बाद कोई न होगा,
तेरे सितम को सहने के लिए।
तू आवाज़ देगा मुझे,
वापस लौट आने के लिए।
लेकिन उम्र ज्यादा हो गयी होगी मेरी,
मुक्कमल नाम तक पढ़ने के लिए।
देर कर दिया है तूने आने में बहुत,
ये काफी होगा,उसदिन मुझे कहने के लिए।
फिर बस तू नाम ही रह जायेगा मुक्कमल,
ज़िन्दगी अधूरी रह जायेगी तुझे जीने के लिए।
और ढूंढने से मिलती नही है ऐसी शख्सियत,
ये ख़्याल आते रहेगा,तेरे लबों को कहने के लिए।
-Prashant Sameer— % &अये मुक्कमल देख
मैंने तुझे अधूरा किया,
तेरी राहों से अपना बसेरा
जबसे जुदा किया।
मुझे तो गुमां है और रहेगा
अपने दिल के फैसलों पर,
जो मुक्कमल हुए बिना ही
आखिरी साँस को पूरा किया।
-Prashant Sameer— % &उम्मीद का मुक्कमल होने से कोई वास्ता नही,
तेरे जाने के बाद नज़र में अब कोई रास्ता नही।
आज परेशां हूँ मैं कल हैरान होंगे तुम,
नज़र को जब तलाश होगी एक समझनेवाले कि,
और तेरा दिल बार बार कहेगा,अब कोई जचता नही।
फिर वो अतीत की यादें सताएगी तुम्हे
और एक कसक रह जायेगी दिल मे तेरे,
की इतनी आसानी से कैसे छोड़ दिया तुझे,
प्यार अब भी जमाने मे इतना सस्ता तो नही।— % &
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