मुहब्बत- ऐ- दर्द वो कहता था की मुझे बेपनाह प्यार कर मेरे लिए ही ज़िन्दगी को तू क़ुर्बान कर मत कर दुनिया की तू बिलकुल परवाह ऐसा सच्चा वाला ही तू मुझे प्यार कर अरे मैने उसे शिद्दत वाला प्यार भी किया और उसके हर दर्द को अपने नाम भी किया दुनिया की परवाह ना करते हुए अपनी पूरी जिंदगी को उसके लिए क़ुर्बान भी किया फिर आगे क्या हुआ सुनो वो समझ गया था कि मैं सिर्फ उससे ही प्यार करने लगी हूँ और मैं अपनी जिंदगी को सिर्फ उसके लिए ही कुर्बान करने लगी हूँ मुझे खबर भी ना थी की जिंदगी में ऐसा मोड़ भी लाएगा वो मेरी बेपनाह मोहब्बत को मेरी कमजोरी समझ कर मेरा ही फायदा उठाएगा वो अरे मैने फिर भी कुछ नही कहा उस बेरहम सनम से मेने सोचा मेरा ही हैं वो एक न एक दिन समझ जायेगा वो मैं उसके दिये हुए दर्द को भी मुहब्बत समझती चली गई उसके इश्क में उसकी कही हुई बातों को शराखो पर रखती चली गई अपने दर्द का भी अहसास ना होने दिया उसे इस क़दर उसकी मुहब्बत में पागल होती चली गई मेरा कसूर क्या था लोगो बताओ मुझे ,आज मुझे छोड़कर चला गया वो मुझे रूह में बसाकर हमेशा जिंदगी के लिए तन्हा कर गया वो क्या अंजाम देती अपनी मुहब्बत का उस पर अब गुस्सा भी ना करती तो क्या करती उस पर मेने उसकी हर गलती को माफ़ किया अल्लाह बस उसकी जिंदगी में सुकून रखना क्या कहूँ मैं इससे ज्यादा अल्लाह बस उसे हमेशा खुश रखना
आज भी तेरी यादों का ऐहतेराम करते हैं, झुकी निगाहों से मुहब्बत का इकरार करते है, सिर्फ जताने का नाम नहीं इश्क़, किसी की यादों में जीने को भी प्यार कहते है।
Muhabbat To Bani Hi Hai Imtehaano Wali Raah Warna Jiska Milnaa Mumkin Hi Nahi Hota Aakhir Usi Se Kyun Hoti Hai Muhbbat Bepanah ( Read More..... In The Caption )
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