Arun Prakash Singh 5 MAY 2017 AT 19:01 ज़िन्दगी अजीब सी,साँसों के ढेर सी। - Arun Prakash Singh 30 APR 2017 AT 14:01 गिर रहा हूँ जो आसमान से,सागर की धरती ये मंज़िल न जानूं,रहना है मुझको हवा में सदा,सपने सी बात ये क्यों हक़ीक़त में मानूं। - Arun Prakash Singh 5 MAR 2018 AT 12:11 मेरे कितने सवालों का जवाब बनोगे,मेरे न हो कर भी आखिर कितना मेरे बनोगे। - Arun Prakash Singh 30 MAY 2017 AT 11:11 ख़ुशियों का गुब्बारा मेराएक छेद से जैसे फूट गया,एक ग़म के आगे सारी खुशियोंको मैं जैसे भूल गया। - Arun Prakash Singh 11 NOV 2017 AT 7:54 वक़्त आ गया है थोड़ा ग़ुरूर कमाने का,पैसे की बारी फिर उसके बाद आएगी।जवाब देने लायक बन जाने दो,सवाल करने की बारी फिर उसके बाद आएगी। - Arun Prakash Singh 1 FEB 2018 AT 11:39 काश कुछ ऐसा कर पाऊं,तुझे ख़्वाब,और ख़ुद को हक़ीक़त,समझा पाऊं। - Arun Prakash Singh 20 DEC 2017 AT 16:19 इतनी ख़ामोश रात में बस तू ही दिल में शोर कर रही है,अजीब सी बात है, कि हर तरह से आज़ाद इस दिल को बस तू ही मजबूर कर रही है। - Arun Prakash Singh 26 JUN 2017 AT 19:19 समाज मे हमारा इश्क़ जब बदनाम हो गया,तू समुंदर और मैं आसमान हो गया। - Arun Prakash Singh 20 DEC 2017 AT 11:40 कितना प्यारा ख़्याल है,की मैं तेरा हूँ। - Arun Prakash Singh 2 JAN 2018 AT 14:48 आओ आज एक कोशिश हम आज़माते हैं,दुनियाई आईने से निकल हम मुस्कुराते हैं। -