आज उनके घर का दर -
दरो-दिवार खुला रह गया
उन्मुक्त आकाश बाँहे फैलाये
उन तक झुक आया,धरती ने
खूँटा खोल दिया,वो क्या थी
कौन थी,महत्व के विषय रह ।
गये,देश को अलविदा कहना
गति को विराम देना,स्वप्नों को
मातृभूमि को उपहार में दे देना
लाडली का देहलीज से बाहर
चरण पड़ना अमूल्य हो गया
खोज में आँश्रू-धारा भेज दी ।
मुक्तसर आवाजें दब-दब के घुट गयी
वो न लौटी,न लौटेगी, अपनों के घर
वो माँ थी वचनों की पक्की सिंहनी
देश विदेश के शावकों परजाँलुटाने
वाली भारतीय अस्मिता ,संस्कृति
सादगी पसन्द नेत्री सुषमा स्वराज ।
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