कुछ अल्फ़ाज़ मे़री माँ के लिए...
माँ तेरे आँचल की आज भी याद आती है,
पूरे जहां से जुदा जाने कहाँ से इतना प्यार दे जाती है।
दूर तेरी निगाहों से होना जैसे पेड़ की इक डाली का खोना.
पर फिर भी मेरे लिए तेरा स्नेह कम न होना;
हैरानी होती है कईं दफ़ा,
किस जहां से इतना प्यार लाती है;
माँ तेरे आँचल की आज भी बहुत याद आती है,
और हर बार की तरह जाने कहाँ से इतना प्यार दे जाती है।
उँगली पकड़ के यूँ तूने चलना सिखाया,
और मेरे हर बढ़ते कदम पर जैसे तेरी ममता का साया;
दुनिया की अजब रस्मों से तेरा यूँ वाक़िफ़ कराना,
और मेरे ग़लती करने पर तेरा वो रूठ जाना;
तेरे विश्वास ने ही यूँ उड़ान भरना सिखाया है,
तू ही वजह है कि तेरी चिड़िया का कोई बाल भी बांका न कर पाया है;
माँ आज भी तेरे आँचल की बहुत याद आती है,
और हमेशा के जैसे वो अपनापन-सा दे जाती है।
झूमने लगता है दिल ये,आज भी तेरी सौहबत जब मिल जाती है,
बड़ी तो हो गई हूँ मग़र, बचपन आज भी जैसे कहीं बाकी है।
...To be continued
-