मेरी माँ
मेरे लिए मौत से भी लड़ते देखा है तुझे।
मेरा बोझ लिए पेट में, घंटों काम करते देखा है तुझे।
मेरे आते ही इस दुनिया में,सबसे ज्यादा खुश तेरा होना।
उस दिन बिस्तर पे सफ़ेद चादर ओढ़े सोते देखा है तुझे।।
मेरे लिए रात भर जागते देखा है तुझे।
उतने दर्द के बावजूद, मुझे देख मुस्कुराते देखा है तुझे।
तू कमज़ोर कैसे हो सकती है माँ।
दो सौ हड्डियों का एक साथ टूटना भी बर्दाश्त करते देखा है तुझे।।
मेरे सपनों के लिए पापा से भी लड़ते देखा है तुझे।
मेरी हर अनकही बातों को पढ़ते देखा है तुझे।
पापा तो मना ही लेते थे मुझे रुलाने के बाद।
पर मुझे रूलाके, खुद भी किसी को रोते देखा है, तो वो सिर्फ़ तुझे।।
मेरी खुशी के लिए हर गम को छुपाते देखा है तुझे।
मेरे आंसू पोछ, अपने पलकों को भिगोते देखा है तुझे।
बनती तो थी घर में चार ही रोटियाँ।
पर वो चारों मुझे खिलाकर, "और भी है बेटा" ये झूठ बोलते भी देखा है तुझे।।
मुझे चैन से सुलाकर, खुद बैचेन रहते देखा है तुझे।
मेरे हर सुख, हर दुख में साथ निभाते देखा है तुझे।
जन्नत में मां मिलती है या नहीं, ये मुझे नहीं मालूम।
पर जन्नत के रूप में भी मिलते देखा है तुझे।।
बेशक, तुझसे छोटा कोई शब्द नहीं।
पर इस दुनिया में सबसे बड़ी भी तुम ही हो माँ!
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