हर रात नया अफसाना
ज़रा हाथ रखो अब, अपने इस दिल पर तुम,
एक यकीन भी, ख़ुद पे एक बार ज़रा कर लो तुम।
ये गम की रातें कुछ पल की, फिर आएगा सुबह सुहाना।
हर दिन तकलीफों से बोझिल, हर रात नया अफसाना।
जिस मन को समझते, तुम इतना ताकतवर है,
तुम्हारी आदतों से चलता, बस एक मुर्दा घर है ।
इन आदतों में पड़कर, बस पड़ता है पछताना।
हर दिन तकलीफों से बोझिल, हर रात नया अफसाना।
ना कहो कुछ सही है, ना कहो कुछ गलत है।
भले बुरे से परे कहीं, ये ज़िंदगी ही सबकुछ है।
छोड़ कहीं विचारों के बंधन, बांहें खोल ज़िन्दगी को गले लगाना।
हर दिन तकलीफों से बोझिल, हर रात नया अफसाना।
थोड़ा वक्त भी दो ख़ुद को, लगे हो चीज़ें बटोरने में।
जब सशक्त होगे भीतर से, सौ बरस लगेंगे तुम्हे तोड़ने में।
ये नुस्खा है खुशहाली का, एक बार ज़रा आज़माना।
हर दिन तकलीफों से बोझिल, हर रात नया अफसाना।
Pritam Singh Yadav
-