रूहानी व जिस्मानी का चक्कर छोड़िए आप
प्रेम अपने हर रूप में प्रेम ही है
कई बार रूहानी प्रेम,बिस्तर पर दम तोड़ता है
और जिसम से शुरू हुआ,कई बार रूह तक जाता है
आप क्यूं सीमित कर रहे उसे दायरों में,
ये सिर्फ और सिर्फ आपकी अपनी मानसिकता है
कि आप उसे कहां ले जाना चाहते हैं
बिना भौतिकता के आप प्रेम का रूप कहां पाएंगे
और बिना नैतिकता आप प्रेम को जी नहीं पाएंगे
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