QUOTES ON #MOKSHA

#moksha quotes

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23 MAY 2021 AT 23:47

तुम मोह भी
तुम मोक्ष भी
तुम सृष्टि हो
तुम दृष्टि भी
तुम हो निराकार
तुम ही सर्वदा साकार भी
तुम धीर हो गंभीर हो
तुम ही धरा पर नीर भी
तुम मोह हो
तुम मोक्ष भी
तुम सुखन के किल्लोल हो
तुम ही रूदन का चित्कार भी
तुम सृजन की नींव हो
तुम अंत का संहार भी
प्राण की विलासिता भी
तुम देंह के हो दीनता भी
तुम मोह भी
तुम मोक्ष भी
तुम कृत्य भी
तुम नृत्य भी
तुम धूरी धरा भी
तुम ही गगन गंभीर भी
तुम क्षितिज के इस पार हो
तुम ही क्षितिज के उस पार भी
तुम मोह भी
तुम मोक्ष भी ....।।

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14 JUL 2020 AT 16:37

सखा...

मैं चंचल तू चित चोर सखा।
बांध मोसे भी पोर सखा।

अखियाँ अश्रु लिये ढूंढे तोहे।
जाऊँ बता कित ओर सखा।

देख छवि तोरी बावरी भई।
तू चंदा मैं चकोर सखा।

जो छोड़त मोहे इस नगरी तू।
फिर थाम ले मोरी डोर सखा।

"धानी" ब्रज की वासी नाही।
ब्रज में दे दो एक ख़ोर सखा।

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26 SEP 2021 AT 3:52

यह आत्मा का पर्वत तेरा,
वह बैकुंठ का समंदर तेरा,
जितना बह लिया
मैं मिल गया तुझमें,
जितना जम गया
मैं लगा किनारे पर,
तुझमें मिला तो मोक्ष हूं मैं !
गंगा- तट लगा
तो भागीरथी की मुक्ति !!

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24 NOV 2020 AT 2:46

भस्म मलूं और ध्यान धरुं मैं रहुं मगन ही भोले में
खुली जटा व हाथ में कमंडल धुन लगी है भोले में।

तप करुं और योग धरुं मैं तपस्वी बनूं मैं भोले में
अंग अंग का मोह नहीं है आशीष करुं मैं भोले में।

गेरुआ वस्त्र ही भाये मुझको त्याग करुं मैं भोले में
रुद्राक्ष की माला मैं पहनू गुम हो जाउं मैं भोले में।

सब मोह माया सब है मिथ्या अर्पण सब भोले में
भोले प्यारे सधुक्कड़ी प्यारी मोक्ष प्राप्ति भोले में।

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14 APR 2017 AT 20:41

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11 NOV 2018 AT 14:16

Earth is such a playground for all living beings, from where one can not leave without win.

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12 MAY 2020 AT 17:54

Moksh-

उसके सामने माथा टेकने से नहीं,
कण - कण की सेवा से मिलता है, मोक्ष।

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14 JAN 2018 AT 11:57

"इन्सान को है ईर्ष्या, लालच और पैसों कि भूक,
इसे मोक्ष कि थाली परोस दो।"

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11 OCT 2021 AT 22:42

मोह है निहित इतना कि तब क्या होगा,
बस होगा कुछ अधूरा तो कुछ पूरा होगा,

एकटक देखते हुए कमल को एहसास होता है,
के मुरझाना भी है सुंदर तो खिलना क्या होगा,

कह देते है हास्य में वो विस्मय को मुक्ति,
मगर तय नियति को जानना क्या होगा,

न रहेगी पिपासा कोई और नाही क्षुधा लोभ की,
ऐसी निर्मल अवस्था में मानो ठहरना क्या होगा,

घटित हुई घटना का कुछ पता भी न होगा,
बस होगा कुछ अधूरा तो कुछ पूरा होगा।

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5 JUL 2020 AT 16:20

देर सवेर हो जाऊँगा,
राख का ढेर हो जाऊँगा,
मैं मोक्ष को पाकर,
एक दिन कुबेर हो जाऊँगा।
होगा तो कुछ नही मुझसे
कुछ कर भी ना पाउँगा,
जब सामने होगी मौत,
फिर भी दिलेर हो जाऊँगा।

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