कई बार पानी में डुबो लिया, हिचकियों को,
कम्बख़त बन्द होने का नाम नहीं ले रही...
इतनी शिद्दत से सनम याद करती है, हमें...!
याद तो हम भी करते है, मगर अंदाज जुदा है...!
आंसु खुद के बहा कर, आंखों को प्यासा कर लेते हैं,
खुद तड़पते हैं, मगर प्यार को तकलीफ़ नहीं देते हैं...
mk4ever
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