मालुम है मुझे की तेरा लौटना अब मुमकिन नहीं,
इन तस्वीरों से फूल हटाकर मुझको तू झूठा बना जा ना,
बेशक़ बहुत बड़ी खता की थी मैनें उस वक़्त,
माफ़ी माँग सकूँ तुझसे मैं इतना तो मौका दे जा ना,
बिन खता के इलज़ाम देते हैं मुझको लोग यहाँ,
आकर उन्हें तू मेरा हाल समझा जा ना,
बहुत याद आ रही है आजकल मुझे तेरी,
तोह्फे में एक मुलाक़ात देकर सीने से लगा जा ना,
कुछ बातें अधूरी हैं मेरी उन्हें तू सुनने आ जा ना...!
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