QUOTES ON #MISSINGCHILDHOOD

#missingchildhood quotes

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21 DEC 2017 AT 16:14

The day i left my small town
i left a piece of my heart somewhere in those lanes
The day i left my small town
i left a piece of my heart in those neighbours
The day i left my small town
i left a piece of my heart in those classrooms
The day i left my small town
i left a piece of my heart in that cycle learning adventure
The day i left my small town
i left a piece of my heart in that best friend
That day i left my small town
i left a piece of my soul

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1 FEB 2021 AT 10:17

अगर आप लोगों को कुछ दिनों के लिए भूल जाऊं तो समझ लो मैं अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाने गांव गया हूं😍😁

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19 JUN 2021 AT 22:16

आगे आगे की
होड़ में बहुत
कुछ छूट रहा है
मोबाइल से
जुड़ा बचपन
अपने स्वभाव
से टूट रहा है

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23 SEP 2021 AT 10:27

माँ तेरे डिब्बे की वो दो रोटीया कहीं बिकती नहीं...🤷🏻‍♂️
इन महंगे होटलों में आज भी मेरी भूख मिटती नहीं...✍🏻😇

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12 APR 2017 AT 2:11

बचपन की मस्ती
बचपन की उधम-धाड़
वो कागज़ की कश्ती
बारिशों की फ़ुहार
वो गन्ने के रस की धार
घंटी बजा के भागना बार-बार
वो साइकिल....वो झूले
वो बगीचों की बहार
छत पर भाग कर चढ़ना
टीवी एन्टीना ऐंठना बारम्बार
स्कूल था मक्का-मदीना
स्कूल ही था कारागार
नकली ही सही पर खूब दौड़ती थी
अपनी भी बड़ी कार
साथ बैठकर खाता था
जब सारा परिवार
रूठता न था कोई
सभी थे मेरे संबंधी मेरे प्यारे यार
जाने कहाँ रह गया...वो बचपन
वो बचपन का भोला प्यार
- साकेत गर्ग

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25 DEC 2021 AT 10:31

अदरक की गांठों सा रहा अपना बचपन भी...🥰
बस उतना ही सुधरे जितना कूटे गए...😌

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29 JUL 2021 AT 18:01

जहाँ रो नहीं पाते, वहाँ मुसकुराना पड़ता है...💔

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22 OCT 2018 AT 16:49

जीत के लिए जिद अभी भी
मंजिल के लिये लड़ाई अभी भी
नादानी और शैतानियां
मै बच्चा हूँ अभी भी

सच्चाई है दिल में अभी भी
सच्चा हूँ मै अभी भी
ना है कोई चिंता
मै बच्चा हूँ अभी भी

जिन्दा हूँ जिंदादिली है अभी भी
शरारत में भी सच्चाई है अभी भी
प्यार भरा दिल है मेरा
मै बच्चा हूँ अभी भी

दिल तो बच्चा है जी।

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29 MAY 2020 AT 20:22

कहां गुम हो गए मेरे वह सारे बचपन वाले निश्चल से सपने, कहां गुम हो गई वो बेफिक्र व अल्हड़-सी मैं? कोई तो ढूंढ कर ला दे मुझे वह मेरे पुराने सारे दिन जिनमें मैं अपने सुंदर से सपनों से बातें करके ही खुश हो जाया करती थी।

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14 NOV 2021 AT 19:40

समझदार से नासमझ ही अच्छे थे
जिंदगी तो तब थी जब हम बच्चे थे...
ठुकाई तो होती थी पर घर वाले लाड से दुलाराते भी थे
पहले मार कर रुलाते फिर झूले में झुलाते भी थे,
न exams की tension थी न result का डर था
जहाँ नींद आये सो जाओ वही हमारा घर था...
बड़े हुए घरवालों की सोच, society की सोच का ध्यान रखना जरूरी है
काश! बस एक बार और लौट आता बचपन फिर हर एक आश पूरी है...
जब बच्चे थे तब सोचते थे समझदार क्यों नहीं हैं हम?
समझदारी आई तो मिला ही क्या? मिले हैं तो वो हैं सिर्फ गम...
जैसे तैसे कपड़े पहन माँ के हाथों से कंघी करवाकर क्या सादगी हुआ करती थी,
समझदार हुए तो पता चला नासमझी में ही गजब की ज़िंदगी हुआ करती थी...

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