हां मुझे प्यार हुआ है,
और हर बार हुआ है,
सुबह की हर भोर से,
जाड़े के कोहरे से,
भोर की निश्च्छल शांति से,
उस शांति को चीरती चिड़ियों की चहचहाहट से,
पत्तों पे गीरी ओंस की बूंदों से,
पौधों में सुगंधित नन्ही फूलों से,
मिट्टी में मिले भुरभुरी धूलों से,
ऑक्सीजन से भरी ठंडी हवाओं से,
लाल सूरज की पहली धूप से,
उससे निकलते सात रंगों के रूप से,
कोयल की निरंतर कूक से,
सीने में उठी एक अनजानी हूक से,
इक पल में ही पूरी जिंदगी जी लेने की भूख से,
अंतरात्मा के सबसे नजदीक होने के सुख से,
हां मुझे प्यार हुआ है,
और हर बार हुआ है,
इस प्रकृति से और इस प्रकृति से बने खुद से
और इसकी बनाई हर रूप से।
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