हो सके तो दे देना कुछ पल उधार,
ब्याज वाले कर्ज की तरह,
लौटा दूंगी ढेर सारा प्यार,
मूल के साथ वाले सूद की तरह।
राह बस मैंने ही ताकि हमेशा,
सवारी ढूंढते राहगीर की तरह,
रिश्तो की भीख बस मैंने ही मांगी,
जरूरतमंद फकीर की तरह।
कब तक ए मालिक नाइंसाफी सहूं मैं,
बेगुनाह होकर कसूरवार की तरह,
कुछ भी हो जाए,नहीं बनूंगी,
मैं बाकी शख्सियत की तरह।
- Shweta Choudhary
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