मुझे बहोत अच्छे से याद हैँ बारिश का वो दिन ज़ब मैं सब कुछ भूल कर अपने दोस्तों के कहने पे तीसरी ही मुलाक़ात पे ही उसे प्रपोज़ कर बैठा था.. हाँ भाई तीसरी मुलाक़ात में ही, भला ऐसा भी कोई करता हैँ, पर वो कहते हैं ना चार दोस्त मिल जाये तो कुछ भी करवा सकते हैँ मेरे साथ भी कुछ ऐसा हुवा..
नमस्कार दोस्तों! ये कहानी दो पार्ट मे होंगी यह बहोत रोचक हैँ आप पूरा पढ़ेंगे तो अच्छा लगेगा 🙏💐💐
Right now, my father could be an astronaut, a mobster, a humanitarian, winner of the Nobel prize, even Vada Pav Inventor. I mean, what one man could live up to all that?