व्यर्थ में क्यू दांव पे , लगाते हो खुद की जिंदगी
सफलता तो मिलती नहीं, बिना जिंदादिल प्रयासों से
शक्कर, मिलालो, मिश्री मिलालो , चाहे मिलालो गुड़
दिल का कसाव मिटा नहीं, कभी इन मिलावटी मिठासो से,
भर के प्याला प्रेम, का जो पीते हो दिनों -रात जरुरत क्या उन्हें के हाल पूछे प्यासों से
उमिद्दो की लड़ियों में झूलते जो ,हर रोज फुर्सत
कहाँ , अब उनको के हाल पूछें, निराशों से !
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