फ़क़त, ज़हर जिनके कानो में है,
ऐसे वैसो की जगह पीक़दानो में है
ज़रा सा हुनर, क्या बक्शा ख़ुदा ने,
भाव ग़ुरूर का अब आसमानो में है
ग़लीच बनी सोच, लिबासों में इस क़दर,
क्या, आबरू लिबास की दुकानो में है ?
जागीर नहीं ये मुल्क, किसी परिवार का,
फिर क्यूँ सियासत, यहाँ खानदानो में है ?
सकून मिल जाता, लोगों की मोहब्बत से,
यूँ महफ़िल लूटने का ख़िताब,नादानो में है
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