सच्ची दौलत नहीं होती चंद सिक्कों में,
ये तो छुपी होती है बस रिश्तों में।
मां के हाथ में खाने में,
पापा के समझाने में,
बहन की मार में,
भाई की तकरार में,
ये दौलत मुस्कुराती है।
गुरु के आशीर्वाद से,
दोस्तों के दंगा फसाद से,
जीवनसाथी के प्यार से,
बच्चों के दुलार से,
ये दौलत और भी बढ़ जाती है।
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