Phenomenal woman(अद्भुत औरत) /1
सुन्दर स्त्रियां विस्मय में है , सोचती है
मैं जो एक अद्भुद रहस्य जैसी हूँ
कहाँ बसता है ये तिलस्म ।
मेरे होने के किस छोर में ।
मैं उतनी नाजुक भी नहीं ,
और मेरा शरीर किसी के बताये
मानक नक़्शे में फिट होने के लिए तो नही बना ।
पर ये जब मैं बताती हूँ
तो उन्हें झूठ लगता है।
तब मैं कहती हूँ
ये जो मेरा सौंदर्य है
इक रहस्य है जो
मेरी बाँहो की पनाह में छिपा है,
मेरे व्यक्तित्व की गोलाई में ,
लेहरो की जैसी मेरी चाल में ,
मेरे होठो की कोरो में है ,
मैं औरत अद्भुत हूँ
अद्भुत औरत , यही हूँ मैं !
मैं इतनी शांत सी कमरे में आती हूँ
इतनी सौम्य जितना तुम्हे अच्छा लगे
आसपास लोग मेरे लिए घुटनो पर आजाते है ,
मेरे इर्दगिर्द मंडराते है भौरों जैसे ।
मधुमखी के छत्ते जैसे मेरे चारो और।
तब मैं कहती हूँ
ये मेरी आँखों में जो आग है ,
मेरी मुस्कान की जो चमक है उसमे है ,
मेरे कमर के मोड़ में ,
मेरे पैरों के नाच में है
मैं औरत अद्भुद हूँ
अद्भुत औरत , यही हूँ मैं !
......
-