चलते चलते राहों में एक अजनबी से मुलाकात हो गई, पहले कुछ बातें हुई , फिर ना जाने कब मोहब्ब्त की शुरुआत हो गई। खिल जाता था जो चेहरा एक दूसरे की मुस्कान देखकर, कुछ मतभेद क्या हुएं की दूरियों की शुरुआत हो गई। ख़तम हुआ वो किस्सा, ख़तम हुई बातें सारी....
Kitni ajib he ye duniya Jha ladko ko sare hak diye jate He aasani se Aur vhi dusri or agr ladkiya apne hak ke liye kuch khe bhi de to Kamre me bandh krliye Jata he
मत कर मत-भेद सब एक मानव जात, दूसरे मुद्दे छोड़, पहले कर इन्सानियत की बात, आओ मिलजुल कर बदलें इस देश के हालात, गले मिलें, एक दूसरे को दें भाईचारे की सौगात।
कभी-कभी हमें लगता है कि हमने ठीक वैसा ही सोचा है जैसा कि सामने वाला सोच रहा है, लेकिन कहानी इसके विपरीत होती है, और जब ऐसा होता है तब होता है विरोध और मतभेद....