QUOTES ON #MATALBI_DUNIYA

#matalbi_duniya quotes

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4 JUL 2021 AT 17:21

हम तो उनके लिए भी रोये हैँ.
जिन्होंने कभी मेरे लिए हंसा भी नहीं है..


💫___________________🤍💔

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31 JUL 2020 AT 20:53

मतलब निकालने के लिए
अपनापन न दिखाया करो।

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30 AUG 2020 AT 23:28

Bahut dekha, jana, samajha or ajmaya bhi
Fir ye jana,
Yaha apne siwa koi apna nahi hai...!!

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30 OCT 2020 AT 11:37

ये जो हालात है आज मेरे,
वक्त आने पर सुधर जायेगे,
पर अफसोस की ,
कुछ लोग दिल से उतर जाएंगे......

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17 DEC 2020 AT 21:18

💔💔
Shak nhi "yakeen" hai
"Koi" kisi "ka" nahi hota hai

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26 JUN 2019 AT 8:47

मतलबी दुनिया मे,मतलब नकाल ने हम गए।
मतलब _ तो_ न _मिला,मतलबी हम बन गए।

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29 NOV 2020 AT 10:01

जनाब सिक्कों की खनक संस्कार छीन लेती हैं
आसमान की दौड़ पैरों की जमीन छीन लेती हैं

दुनिया के ताने बाने में उलझकर रह गई सीख
मोहब्बत की चकाचौंध तहजीब छीन लेती है

ये कभी बेवजह भी वजह को भूल जाया करो
इंसान की गलतफहमी रिश्तों को छीन लेती हैं

बेशक सुलगती सिगरेट है यहाँ सबकी जिंदगी
पर सुकून का कश अक्सर बेचैनी छीन लेती हैं

तकाजों मैं पनपती है इन रिश्तों की जादूगरी
मगर नजरअंदाजी अक्सर लगाव छीन लेती हैं

कपिल हमेशा पतझड़ ही रहता है मेरे सीने में
बसंत की बहार को ये तितलियाँ छीन लेती है

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17 AUG 2020 AT 14:32

वक़्त का पहिया चला रे साथियों
वक़्त का पहिया
हम हौले हौले फिर गुलाम हुए
अंग्रेजी का जहर तन मन में घुला रे साथियों
हमारी चाल बदल गई
हमारे अंदाज बदल गए
हमारी संस्कृति को ये बाज लेे उडे
अंग्रेजी संस्कृति का भूत चड़ा रे साथियों
लंबे लंबे बाल
फैशन की बलि चढ़ें
साड़ी और सूट भी अग्नि में जले
सभ्यता के खोने का बिगुल बजा रे साथियों
माता पिता भी मोम डेड हुए
आपने हमारे लिए किया ही किया ऐसे सवाल किए
सम्मान की प्रथा भूल गए
संस्कारों की बलि हम खड़े हुए
नए नए वृद्धा आश्रमों का निर्माण हुआ रे साथियों
एक नवीन राह पर युवा पीढ़ी
अपनी ही दुनियां में मगन
परिवर्तन तो है अच्छी बात
पर न करो तो परिवर्तन का दुरुपयोग
सत्य को खोजने की हिम्मत तो करो
करो खुद से सवाल
क्या यह वही देश जिसके लिए
मरे भगत सिंह आज़ाद
आत्म विश्लेषण बहुत जरूरी रे साथियों



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29 MAY 2020 AT 16:14

जब भी उनपर कोई मुसीबत आई,
याद हर बार मेरा ही नाम आया।

पर जब गमों का रुख मेरी ओर हुआ,
न यार काम आया न प्यार काम आया।।

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गलत लोगों के लिए मेरा स्वभाव तीखा है
पर सारे हरफों को मैंने तोल कर लिखा है

एटीट्यूड के नाम से खरे बनते है वो लोग
जिनका अस्तित्व इज्जत का भूखा हैं

मगर हमको तहजीब सिखाते है वो लोग
जिनका खुद का स्वभाव बहुत रूखा हैं

अपने शब्दों से गंदगी फैलाते है कुछ लोग
कोई भी अनजान नहीं वो सबने देखा है

वो पहले से ऐसे थे, किसको गलत कह दूँ
ऐसे लोगों से मिलना मेरी हाथो की रेखा है

'कपिल' जिसको ना देखो अच्छा है क्यूँकि
हर किसी के रेनकोट का चेहरा अनोखा हैं

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